Kanthkot kathi

 


8वी शताब्दी मे काठीओ की राजधानी कंथकोट

गुजरात भारत का एक महत्वपूर्ण तटीय राज्य है, जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, औद्योगिक और प्राकृतिक रूप से काफी खास माना जाता है। व्यापारिक दृष्टि से यह राज्य प्राचीन काल से ही एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। एक समय यहां के बंदरगाहों ने विदेशी व्यापार में काफी सक्रिय भूमिक निभाई, जिसका महत्व आज भी देखा जा सकता है। यह राज्य बड़े-बड़े उद्योगपतियों, कारोबारियों का घर है, जिनका व्यापार तंत्र देश की सीमाओं के साथ-साथ विदेशी भी फैला हुआ है। गुजरात का इतिहास कई सालों पुराना है, जहां कई राजवंशों का शासनकाल रहा है। इतिहास से जुड़े कई प्राचीन साक्ष्यों को यहां देखा जा सकता है। इस लेख में हमारे साथ जानिए गुजरात के ऐतिहासिक खजाने में से एक कंठकोट फोर्ट के बारे में, जानिए यह किला आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है।

कंठकोट किला

 कंठकोट फोर्ट गुजरात का एक प्राचीन किला है जो राज्य केकच्छ में स्थित है। जानकारी के अनुसार इस प्राचीन किले का निर्माण 8वी शताब्दी के दौरान किया गया था। यह क्षेत्र के कंठकोट नामक गांव में एक पथरीली पहाड़ी पर बनाया गया था। माना जाता है कि यह काठि की राजधानी हुआ करता था, जो सूर्य की पूजा किया करते थे। बाद में इस किले पर चावड़ा वंश ने कब्जा कर लिया था। बाद में यह प्राचीन किला सोलंकी और बघेगा साम्राज्य का हिस्सा बना। ऐतिहासिक दृष्टि से यह किला काफी ज्यादा मायने रखता है। हालांकि वर्तमान में यह मात्र खंडहर रूप में ही मौजूद है। किले की मजबूत दीवारों से इसकी विशालता का पता लगाया जा सकता है। इस किले का निर्माण 8वीं शताब्दी की स्थानीय वास्तुकला के साथ बनाया गया था। इसके निर्माण में भारी मात्रा में पत्थरों और ईंटों का इस्तेमाल किया गया था। किले के तीन छोटे द्वारा और एक बड़ा प्रवेशद्वार है। इस किले को अपने समय का मजबूत किला कहा जा सकता है।

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