पंजाब मे काठी राजपुत/punjab me Kathi rajput

ई.स. 326 मे पंजाब मै काठी राजपुत 


▪️सिकंदर ने 326 ईसा पूर्व में भारत पर आक्रमण किया और ब्यास नदी तक आया।

सिकंदर की पहली मुठभेड़ पोरस के साथ हुई थी जो हार गया था। हार के बाद भी सिकंदर उसके गरिमापूर्ण व्यवहार से प्रभावित था और उसे सिंहासन पर बैठाया।

▪️ आरियन के अनुसार, सिकंदर को दो पोरस-के साथ लड़ना था, दूसरा उसकी वापसी की यात्रा पर।  ऐसा इसलिए है क्योंकि पोरस एक नाम नहीं था बल्कि एक उपाधि थी जो दोनों पुरु वंश की थी।

अलेक्जेंडर के इतिहासकार आरियन लिखते हैं कि काठ सबसे बहादुर लोग थे जिनके साथ उन्हें भारत में लड़ना था …… अगला, सिकंदर को रावी नदी के पूर्वी, काठ (गथवाल) राज्य से लड़ना था। उनकी राजधानी सांगला थी। काठ ने पोरस को कई बार पराजित करने का गौरव प्राप्त हुआ था। .... आरियन द्वारा ऊपर वर्णित जनजातियों के नाम अलेक्जेंडर अर्थात माली, मद्रक, मलक, काठ, योध और जातक के रूप में लड़े गए हैं।


▪️- काठी क्षत्रिय कई सदी पूर्व पंजाब के गुरुदासपुर के पास सांगला और मुलतान हाल पाकिस्तान के शासक थे । राजा पोरस और काठीओ के बीच कई युद्ध हुए थे । जिसमे काठी अजेय रहे । ई.सा. पूर्व 326 मे ग्रीस से विशाल सैन्य के साथ सिंकदर विश्वविजय की कामना लेकर हिंदुकुश की पहाड़ीयों को पार कर महायुद्ध की तैयारी मे खडा था ।पोरस ने सिंकदर को हराया और सिंकदर ने संधि की वो प्रदेशो पर आक्रमण कर सके , इसलिये उसके । बाद उसने सिंधु नदि के किनारे सांगला मे काठी क्षत्रियो पर आक्रमण किया । लेकिन यहा पर भी सिंकदर को हार ही मिली , मोकाजी बसीया और लुणवीर ( लुणा ) बसीया दो काठी भाइयों ने सिंकदर को भाले के प्रहार से घायल कर दिया ।

इस से युनानी सेना बोखला गयी और प्रंचड आक्रमण किया , जिसमे पोरस की सेना ने भी सहयोग दिया , किंतु चाणक्य ने पोरस को आदेश दिया की सिंकदर से संधि तोड़े और भारत छोड दे , लेकिन काठीयों को काफी क्षति पहुंची और सांगळा नगर भी ध्वंस हो चुका था

और सिंकदर की ग्रीस पहुंचने से पहले ही रास्ते मृत्यु हो गई इसके बाद काठीयोने पंजाब छोडा और राजस्थान , सिंध और बीकानेर , और अरावली क्षेत्र के इलाको मे बस गये । लेकिन कुछ समय बाद वे और दक्षिण मे आये कच्छ मे । जहां उन्होने अंजार , बन्नी , कथकोट को जीता और पावरगढ को राजधानी घोषित किया और एक भव्य सुर्यमंदिर का निर्माण कराया।

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